कश्मीर के बडगाम ज़िले के मागम इलाके की 19 वर्षीय छात्रा नहीदा मजीद ने NEET 2025 परीक्षा में 500 अंक हासिल कर एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। उनकी यह सफलता आधिकारिक दस्तावेज़ों और जम्मू-कश्मीर उम्मीदवारों के लिए जारी मेरिट लिस्ट में भी दर्ज है। बावजूद इसके, इतनी शानदार उपलब्धि के बाद भी मुख्यधारा के मीडिया ने इस कहानी को जगह नहीं दी, जो वास्तव में निराशाजनक है।
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शुरुआती जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
नहीदा मजीद का संबंध बडगाम ज़िले के मागम क्षेत्र के एक छोटे से गाँव से है। यह इलाका मेहनती छात्रों के लिए जाना जाता है, लेकिन मीडिया की नज़रों में अक्सर अनदेखा रह जाता है। साधारण परिवार में जन्मी नहीदा मजीद बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थीं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने हमेशा अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा को प्राथमिकता दी। उनके परिवार ने भी कठिन परिस्थितियों में उनका पूरा साथ दिया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
NEET 2025 में शानदार प्रदर्शन
NEET परीक्षा भारत की सबसे कठिन और प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसके ज़रिए मेडिकल कॉलेजों में दाख़िला मिलता है। ऐसे में 500 अंकों का स्कोर हासिल करना किसी भी छात्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह प्रदर्शन नहीदा की मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास को दर्शाता है। जम्मू-कश्मीर के राज्य कोटे में वह अब एक मज़बूत दावेदार बन चुकी हैं।
आधिकारिक रिकॉर्ड से पुष्टि
जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्ज़ामिनेशंस (JKBOPEE) द्वारा जारी प्रोविजनल मेरिट लिस्ट में नहीदा मजीद का नाम स्पष्ट रूप से शामिल है। यह आधिकारिक प्रमाण उनके प्रदर्शन की पुष्टि करता है और यह दर्शाता है कि उनकी सफलता पूरी तरह सच्ची और प्रमाणिक है। सोशल मीडिया पर उनकी उपलब्धि को लेकर जो पोस्टें वायरल हुईं, उन्हें भी इस दस्तावेज़ ने सही साबित कर दिया है।
मीडिया की चुप्पी पर सवाल
सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी उल्लेखनीय उपलब्धि के बावजूद मुख्यधारा के मीडिया ने नहीदा मजीद की कहानी को जगह नहीं दी। जबकि शहरी इलाकों के छात्रों की सफलता पर अक्सर बड़ी-बड़ी सुर्खियाँ बनती हैं, ग्रामीण इलाकों के होनहार बच्चों को वह पहचान नहीं मिलती जिसकी वे हक़दार हैं। यह स्थिति मीडिया के असंतुलित रवैये को उजागर करती है।
स्थानीय लोगों का गर्व और सराहना
हालांकि मुख्यधारा के चैनल और अख़बार चुप हैं, लेकिन स्थानीय समुदाय और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर नहीदा मजीद की सफलता की खूब चर्चा हो रही है। बडगाम और आस-पास के इलाकों के लोग उनकी मेहनत की सराहना कर रहे हैं। कई स्थानीय शिक्षा समूहों और फेसबुक पेजों पर उनकी कहानी साझा की गई, जिसने युवाओं को नई प्रेरणा दी है।
500 अंक का क्या मतलब है
NEET परीक्षा में 500 अंकों का स्कोर किसी भी छात्र के लिए सुनहरा अवसर होता है। जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में, यह अंक सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की मज़बूत संभावना पैदा करते हैं। यह प्रदर्शन यह भी साबित करता है कि सफलता पाने के लिए बड़े शहरों या महंगे कोचिंग संस्थानों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सच्ची लगन और मेहनत सबसे बड़ा साधन है।
नहीदा की सफलता का संदेश
नहीदा मजीद की यह यात्रा एक गहरा संदेश देती है। यह बताती है कि अगर समर्पण, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास हो तो किसी भी कठिन परिस्थिति को पार किया जा सकता है। उनकी सफलता सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह पूरे कश्मीर के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।
मान्यता क्यों ज़रूरी है
ऐसी कहानियों को पहचान देना समाज के लिए बहुत ज़रूरी है। यह उन परिवारों को प्रेरित करता है जो आर्थिक या सामाजिक सीमाओं के कारण अपने बच्चों के सपनों को सीमित कर देते हैं। सार्वजनिक मान्यता से न केवल छात्र बल्कि शिक्षक और संस्थान भी प्रोत्साहित होते हैं।
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निष्कर्ष
नहीदा मजीद की सफलता मेहनत, विनम्रता और आत्मविश्वास की मिसाल है। वह भारत के ग्रामीण युवाओं की उस प्रतिभा का प्रतीक हैं जो अक्सर अनदेखी रह जाती है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि काबिलियत किसी जगह या हालात की मोहताज नहीं होती। अगर ऐसी प्रेरक कहानियों को पहचान मिले, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती हैं।
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