बिहार अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है। इस बार राजनीतिक परिदृश्य पहले से अधिक जटिल और अस्थिर नजर आ रहा है। बड़े गठबंधन अपने भीतर खिंचाव महसूस कर रहे हैं, मतदाताओं की उम्मीदें ऊँची हैं और बेरोजगारी, जातिगत पहचान और प्रशासनिक कुशलता जैसे मुद्दे चुनावी बहस का केंद्र बने हुए हैं। यह चुनाव न केवल बिहार की अगली सरकार तय करेगा, बल्कि देश में व्यापक राजनीतिक रुझानों का भी आईना दिखाएगा।
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पृष्ठभूमि
बिहार की राजनीति हमेशा से ही जातिगत समीकरणों और सामाजिक जटिलताओं से प्रभावित रही है। स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक कांग्रेस का प्रभुत्व रहा, लेकिन 1980-90 के दशक में OBC और अन्य पिछड़े वर्गों की राजनीतिक सक्रियता ने राज्य की राजनीतिक दिशा बदल दी। मंडल आयोग की सिफारिशों ने जातिगत चेतना को और गहरा किया। तब से RJD, JDU ,भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों ने राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ बनाई।
2015 में महागठबंधन (RJD, JD(U), कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां) ने बड़ी जीत हासिल की। 2020 में NDA (JD(U) और BJP) ने 125 सीटों के साथ संकटकालीन जीत दर्ज की, जबकि महागठबंधन ने 110 सीटें जीती। वोट शेयर लगभग बराबर (~37%) था। नीतीश कुमार अक्सर राजनीतिक समीकरणों के अनुसार गठबंधन बदलते रहे हैं।
गठबंधन
- NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन)
- मुख्य पार्टियां: BJP, JD(U), LJP‑रामविलास, HAM(S)
- नेतृत्व: नीतीश कुमार मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में, BJP मुख्य राष्ट्रीय सहयोगी
- इंडिया ब्लॉक / महागठबंधन
- मुख्य पार्टियां: RJD, कांग्रेस, वामपंथी दल, VIP
- नेतृत्व: तेजस्वी यादव (RJD), कांग्रेस नेतृत्व, वामपंथी नेता
- जन सूराज पार्टी (JSP)
- प्रशांत किशोर के नेतृत्व में नया प्रवेशक, 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। यह पार्टी मुख्यधारा के दोनों गठबंधनों के बीच खुद को विकल्प के रूप में पेश कर रही है।
मतदाता की चिंताएं
- विकास और बुनियादी ढांचा: सड़कें, बिजली, पानी, स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं।
- बेरोजगारी और पलायन: युवा रोजगार की तलाश में राज्य छोड़ रहे हैं।
- जाति और सामाजिक न्याय: OBC, EBC, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों का वोटिंग पैटर्न अब भी जातिगत प्रभाव में।
- शासन और कानून-व्यवस्था: भ्रष्टाचार, सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग, अपराध और प्रशासनिक कमजोरी।
चुनावी प्रक्रिया और मतदाता सूची
हाल ही में गहन संशोधन (SIR) में लाखों नाम हटाए गए। वर्तमान में मतदाता संख्या लगभग 7.24 करोड़ है। युवा और महिला मतदाता परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
वर्तमान परिदृश्य और अभियान
- अभियान और वादे:
- INDIA ब्लॉक मुख्य रूप से सत्ता‑विरोधी भावनाओं, रोजगार सृजन, पलायन रोकने और जाति जनगणना को लेकर चुनावी रणनीति बना रहा है। वहीं, NDA अपना जवाब इसके तहत अपने कल्याण कार्यक्रम, अवसंरचना परियोजनाएं, विकास उपलब्धियां और स्थिरता का वादा करके दे रहा है।
- सीट वितरण और गठबंधन संघर्ष:
- NDA के सहयोगी जैसे LJP‑R, HAM(S) बेहतर सीट शेयर के लिए दबाव बना रहे हैं। INDIA ब्लॉक के भीतर सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर कड़ी बातचीत चल रही है। JSP (जन सूरत) स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहा है।
मतदाता सूची और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी समस्याएं:
SIR प्रक्रिया के तहत 65 लाख से अधिक नाम हटाए जाने से पंजीकृत मतदाताओं की संख्या लगभग 7.24 करोड़ रह गई है। विपक्षी दल इससे कमजोर वर्ग के मताधिकार हनन का आरोप लगा रहे हैं।
विवाद / घटनाएं:
फर्जी मतदाता पंजीकरण, कल्याण योजनाओं के कथित दुरुपयोग और जाति जनगणना को लेकर चले विवादित रिपोर्टें सुर्खियां बनी हुई हैं।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सबसे प्रतिस्पर्धी और निर्णायक चुनावों में से एक बनता दिख रहा है। राज्य पुरानी जाति राजनीति और नई विकास आकांक्षाओं के बीच खड़ा है। जातिगत संरेखण और सामुदायिक निष्ठा मतदाता व्यवहार को प्रभावित करेंगी, लेकिन रोजगार, बुनियादी ढांचा और बेहतर प्रशासन की बढ़ती मांग चुनावी नतीजों को आकार देगी।
NDA के लिए चुनौती यह है कि अपने शासन रिकॉर्ड को मतदाताओं के विश्वास में बदलें और गठबंधन सहयोगियों के महत्वाकांक्षा को संतुलित करें। इंडिया ब्लॉक के लिए सफलता गठबंधन एकता, स्पष्ट मुख्यमंत्री चेहरा और वोट विभाजन टालने पर निर्भर करेगी। JSP का प्रवेश अप्रत्याशित तत्व है, जो मुख्यधारा के मतदाताओं के बीच असंतोष पैदा कर सकता है।
अंततः, यह चुनाव यह तय करेगा कि बिहार की राजनीति केवल जाति आधारित रहेगी या विकास और गुणवत्ता शासन की दिशा में बढ़ेगी।
Source:
Dhruv Research: Electoral Dynamics: A Look at Bihar’s Political Landscape.
The Algebra Of Alliances: Bihar’s Political Chessboard In 2025,” NDTV (Ajit Kumar Jha)
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