दक्षिण कश्मीर के खूबसूरत इलाके अनंतनाग में एक युवा महिला ने खेती का नया अध्याय लिखा है। गौहर जबीं, जिन्हें लोग प्यार से ‘कीवी गर्ल’ कहते हैं, ने अपने शहर में कीवी फल की नर्सरी स्थापित कर एक मिसाल कायम की है। पढ़ाई और उद्यमिता के बीच संतुलन बनाते हुए, उन्होंने उस क्षेत्र में सफलता हासिल की है जो अब तक ज्यादातर पुरुषों के नियंत्रण में रहा है।
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शैक्षणिक पृष्ठभूमि: एम.एससी छात्रा जिनके पास था एक सपना
गौहर जबीं इस समय शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (SKUAST) से कृषि अर्थशास्त्र में एम.एससी की पढ़ाई कर रही हैं। उनकी अकादमिक यात्रा ने उन्हें कृषि क्षेत्र में उतरने और विशेष रूप से फलों की खेती में कदम रखने के लिए जरूरी ज्ञान और कौशल प्रदान किया।
कीवी नर्सरी की शुरुआत
कीवी नर्सरी शुरू करने का विचार एक ज़रूरत और अवसर दोनों से जुड़ा था। आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए, गौहर ने ऐसा रोजगार ढूंढने का निश्चय किया जो न केवल उनके लिए स्थायी आय का स्रोत बने बल्कि समाज को भी लाभ पहुंचाए। उन्होंने महसूस किया कि कश्मीर की जलवायु कीवी फल की खेती के लिए उपयुक्त है, इसलिए उन्होंने हेवर्ड प्रजाति के कीवी पर केंद्रित एक नर्सरी शुरू की। हेवर्ड कीवी अपने स्वाद और बनावट के लिए मशहूर है और इसे कश्मीर में सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है। इस दिशा में SKUAST और सोपोर के मशहूर किसान दिवंगत बशीर अहमद वार जैसे लोगों के प्रयासों ने अहम भूमिका निभाई है।
नर्सरी की झलक
गौहर की नर्सरी अशाजीपोरा गांव में स्थित है, जहां करीब 300 जोड़ी नर और मादा कीवी पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों की देखभाल पॉलीहाउस में विशेष तरीके से की जाती है ताकि उनके विकास में कोई कमी न रह जाए। उनकी नर्सरी अब स्थानीय किसानों और बागवानी विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। कई लोग अब उनसे पौधे खरीदकर खुद की खेती शुरू कर रहे हैं। वह हमेशा इस बात पर जोर देती हैं कि सफल कीवी उत्पादन के लिए नर और मादा पौधों का संतुलन जरूरी है। साथ ही, उनकी नर्सरी समुदाय को गुणवत्तापूर्ण पौधे उपलब्ध कराने के साथ लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रही है।
चुनौतियों का सामना
इस यात्रा की शुरुआत आसान नहीं थी। गौहर जबीं को शुरुआत में समाज के संदेह और ग्रामीण क्षेत्र में व्यवसाय शुरू करने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी लगन और आत्मविश्वास ने उन्हें हर बाधा से आगे बढ़ने की ताकत दी। उन्होंने SKUAST के शिक्षकों और कृषि विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लिया, जिससे उन्हें नर्सरी के संचालन का व्यावहारिक ज्ञान मिला। यह ज्ञान उनकी सफलता की रीढ़ साबित हुआ।
महिलाओं के लिए प्रेरणा
एक महिला के रूप में कृषि उद्यम की कमान संभालना आसान नहीं था, लेकिन गौहर जबीं ने यह साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। वह अब कश्मीर की युवतियों को कृषि और एग्रीबिजनेस के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। गौहर प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं के माध्यम से महिलाओं को खेती और व्यवसाय की बारीकियों से अवगत कराती हैं ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
आगे की राह
गौहर की सोच सिर्फ एक नर्सरी तक सीमित नहीं है। उनका सपना एक संपूर्ण कीवी उत्पादन और प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने का है, जिसमें कीवी उत्पादों की पैकिंग और मार्केटिंग भी शामिल होगी। वह चाहती हैं कि अनंतनाग आने वाले वर्षों में कश्मीर का कीवी हब बने और यह क्षेत्र आर्थिक रूप से और मजबूत हो।
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पहचान और प्रभाव
गौहर जबीं की मेहनत अब रंग ला चुकी है। उनकी कहानी कई मीडिया संस्थानों में प्रकाशित हुई है, जिससे वह कश्मीर की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गई हैं। उन्होंने यह दिखाया है कि शिक्षा और नवाचार को मिलाकर कैसे व्यावहारिक सफलता हासिल की जा सकती है। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि दृढ़ निश्चय और सही मार्गदर्शन से कोई भी युवा अपने सपनों को साकार कर सकता है।
निष्कर्ष: अपने क्षेत्र की मिसाल
अनंतनाग की ‘कीवी गर्ल’ गौहर जबीं शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता का एक सुंदर मेल हैं। अपनी कीवी फल नर्सरी के माध्यम से वह न केवल खुद के भविष्य को सशक्त बना रही हैं, बल्कि कश्मीर की कृषि व्यवस्था में भी एक नई दिशा जोड़ रही हैं।
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